बुधवार, 20 मई 2020


विभाजन

लहरों को जन्म देता है प्रवाह
सृजन का आनंद मनाता है,
उछाल के विस्तार पर झूमता है
काल का पहिया घूमता है,
विकसित लहरें बाँट लेती हैं
अपने-अपने हिस्से का प्रवाह,
शिथिल तन और
खंडित मन लिए प्रवाह
अपनी ही लहरों को
विभक्त नहीं कर पाता है,
सुनो मनुज!
मर्त्यलोक में माता-पिता
और संतानों का
कुछ ऐसा ही नाता है!

संजय भारद्वाज
writersanjay@gmail.com

( 8.35 बजे, 18 मई 2019)

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