विनिमय
...जानते हैं, कैसा समय था उन दिनों! राजा-महाराजा किसी साम्राज्य से संधि करने या लाभ उठाने के लिए अपने कुल की कन्याओं का विवाह शत्रु राजा से कर दिया करते थे। आदान-प्रदान की आड़ में हमेशा सौदे हुए।
...अत्यंत निंदनीय। मैं तो सदा कहता आया हूँ कि हमारा अतीत वीभत्स था। इस प्रकार का विनिमय मनुष्यता के नाम पर धब्बा है, पूर्णत: अनैतिक है।
पहले ने दूसरे की हाँ में हाँ मिलाई। यहाँ-वहाँ से होकर बात विषय पर आई।
...अच्छा, उस पुरस्कार का क्या हुआ?
...हो जाएगा। आप अपने राज्य में हमारा ध्यान रख लीजिएगा, हमारे राज्य में हम आपका ध्यान रखेंगे।
विषय पूरा हो चुका था। उपसंहार के लिए वर्तमान, अतीत की आलोचनाओं में जुटा था। भविष्य गढ़ा जा रहा था।
संजय भारद्वाज
प्रात: 7:17 बजे, 18.5.2020
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