बुधवार, 13 मई 2020


*अपराजेय*

"मैं तुम्हें दिखता हूँ?"
उसने पूछा...,
"नहीं..."
मैंने कहा...,
"फिर तुम
मुझसे लड़ोगे कैसे..?"
"...मेरा हौसला
तुम्हें दिखता है?"
मैंने पूछा...,
"नहीं..."
" फिर तुम
मुझसे बचोगे कैसे..?"
ठोंकता है ताल मनोबल
संकट भागने को
विवश होता है,
शत्रु नहीं
शत्रु का भय
अदृश्य होता है!

संजय भारद्धाज
9890122603
writersanjay@gmail.com


सुबह 11 बजे,13.5.2020

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