सोमवार, 4 मई 2020

पाखंड

*पाखंड*

बित्ता भर करता हूँ
गज भर बताता हूँ
नगण्य का अगणित करता हूँ
जब कभी मैं दाता होता हूँ..,
सूत्र उलट देता हूँ
बेशुमार हथियाता हूँ
कमी का रोना रोता हूँ
जब कभी मैं मँगता होता हूँ..,
धर्म, नैतिकता, सदाचार
सारा कुछ दुय्यम बना रहा
आदमी का मुखौटा जड़े  पाखंड
दुनिया में अव्वल बना रहा..!

संजय भारद्वाज
9890122603


# नियमों का पालन करें। स्वस्थ एवं सुरक्षित रहें।🙏🏻

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