शुक्रवार, 29 मई 2020

निठल्ला चिंतन


🌻📚
अहं ब्रह्मास्मि।...सुनकर अच्छा लगता है न!...मैं ब्रह्म हूँ।....ब्रह्म मुझमें ही अंतर्भूत है।

ब्रह्म सब देखता है, ब्रह्म सब जानता है।

अपने आचरण को देख रहे हो न!

...अपने आचरण को जान रहे हो न!

बस इतना ही कहना था।

थोड़े लिखे को अधिक बाँचना, सर्वाधिक आत्मसात करना।

संजय भारद्वाज
writersanjay@gmail.com

28.5.2020, प्रात: 10 बजे

*# निठल्ला चिंतन*

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