मंगलवार, 19 मई 2020

मालामाल


मालामाल

ऐसी ऊँची भाषा  लिखकर तो हमेशा कंगाल ही रहोगे। ...सुनो लेखक, मालामाल कर दूँगा, बस मेरी शर्तों पर लिखो।

लेखक ने भाषा को मालामाल कर दिया जब उसने 'शर्त' का विलोम शब्द 'लेखन' रचा।

संजय भारद्वाज
writersanjay@gmail.com

रात्रि 12:47 बजे, 19.5.2020

# दो गज की दूरी, है बहुत ज़रूरी।

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