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*चुप्पियाँ-5*
तुम्हारी चुप्पी मूल्यवान है,
जितना चुप रहते हो
उतना मूल्य बढ़ता है,
वैसे तुम्हारी चुप्पी का मूल्य
कहाँ तक पहुँचा?
...और बढ़ेगा क्या..?
मैं फिर चुप लगा गया..!
संजय भारद्वाज
writersanjay@gmail.com
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(1.9.18, रात 11:40 बजे)
( *'चुप्पियाँ'* कविता संग्रह से)
# घर में रहें। सुरक्षित रहें।
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