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*सत्य*
परम सत्य,
शाश्वत सत्य,
अंतिम सत्य,
अपना पांडित्य
अपने को छलता रहा,
बिना किसी विशेषण के
सत्य अपनी राह चलता रहा।
संजय भारद्वाज
writersanjay@gmail.com
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रात्रि 1.43 बजे, 29.4.2020
# कृपया घर में रहें। सुरक्षित रहें।
✍️🙏🏻
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