बुधवार, 10 जून 2020

चुप्पियाँ-12


🌿🙏🏻

*चुप्पियाँ*-12

मेरे शब्द
चुराने आए थे वे,
चुप्पी की मेरी
अकूत संपदा देखकर
मुँह खुला का खुला
रह गया.....,
समर्पण में
बदल गया आक्रमण,
मेरी चुप्पी में
कुछ और पात्रों का
समावेश हो गया!

*संजय भारद्वाज*
writersanjay@gmail.com
(प्रातः 8:07 बजे, 2.9.18)

(कविता-संग्रह *चुप्पियाँ* से)

# दो गज़ की दूरी
   है बहुत ज़रूरी।

🙏🏻✍️

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें