📚🌻
*ऊँचाई*
बहुमंजिला इमारत की
सबसे ऊँची मंजिल पर
खड़ा रहता है एक घर,
गर्मियों में इस घर की छत
देर रात तक तपती है,
ठंड में सर्द पड़ी छत
दोपहर तक ठिठुरती है,
ज़िंदगी हर बात की कीमत
ज़रूरत से ज्यादा वसूलती है,
छत बनने वालों को ऊँचाई
अनायास नहीं मिलती है..!
सबसे ऊँची मंजिल पर
खड़ा रहता है एक घर,
गर्मियों में इस घर की छत
देर रात तक तपती है,
ठंड में सर्द पड़ी छत
दोपहर तक ठिठुरती है,
ज़िंदगी हर बात की कीमत
ज़रूरत से ज्यादा वसूलती है,
छत बनने वालों को ऊँचाई
अनायास नहीं मिलती है..!
*संजय भारद्वाज*
(रात्रि 3:29 बजे, 20 मई 2019)
# दो ग़ज़ की दूरी
है बहुत ज़रूरी।
है बहुत ज़रूरी।
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