📚🌷
*शोध*
मैं जो हूँ
मैं जो नहीं हूँ,
इस होने और
न होने के बीच
मैं कहीं हूँ....!
*संजय भारद्वाज*
writersanjay@gmail.com
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(रात्रि 9: 02, दि. 3.10.15)
# दो गज़ की दूरी
है बहुत ज़रूरी।
है बहुत ज़रूरी।
लिखता हूँ सो जीता हूँ।
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