🌻लघुकथा🌻
*वह लिखता रहा..*
'सुनो, रेकॉर्डतोड़ लाइक्स मिलें, इसके लिए क्या लिखा जाना चाहिए?'
......वह लिखता रहा।
......वह लिखता रहा।
'अश्लील और विवादास्पद लिखकर चर्चित होने का फॉर्मूला कॉमन हो चुका। रातोंरात (बद)नाम होने के लिए क्या लिखना चाहिए?'
.....वह लिखता रहा।
.....वह लिखता रहा।
'अमां क्लासिक और स्तरीय लेखन से किसीका पेट भरा है आज तक? तुम तो यह बताओ कि पुरस्कार पाने के लिए क्या लिखना चाहिए?'
.....वह लिखता रहा।
.....वह लिखता रहा।
'चलो छोड़ो, पुरस्कार न सही, यही बता दो कि कोई सूखा सम्मान पाने की जुगत के लिए क्या लिखना चाहिए?'
.....वह लिखता रहा।
.....वह लिखता रहा।
वह लिखता रहा हर साँस के साथ, वह लिखता रहा हर उच्छवास के साथ। उसने न लाइक्स के लिए लिखा, न चर्चित होने के लिए लिखा। कलम न पुरस्कार के लिए उठी, न सम्मान की जुगत में झुकी। उसने न धर्म के लिए लिखा, न अर्थ के लिए, न काम के लिए, न मोक्ष के लिए।
उसका लिखना, उसका जीना था। उसका जीना, उसका लिखना था। वह जीता रहा, वह लिखता रहा..!
संजय भारद्वाज
writersanjay@gmail.com
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( लघुकथासंग्रह *मोक्ष और अन्य लघुकथाएँ* से )
# सजग रहें, स्वस्थ रहें
।
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