मंगलवार, 16 जून 2020

विकल्प



🌻🍁

*विकल्प*

यात्रा में संचित
होते जाते हैं शून्य,
कभी छोटे, कभी विशाल,
कभी स्मित, कभी विकराल..,
विकल्प लागू होते हैं
सिक्के के दो पहलू होते हैं-
सारे शून्य मिलकर
ब्लैकहोल हो जाएँ
और गड़प जाएँ अस्तित्व
या मथे जा सकें
सभी निर्वात एकसाथ
पाये गर्भाधान नव कल्पित,
स्मरण रहे-
शून्य मथने से ही
उमगा था ब्रह्मांड
और सिरजा था
ब्रह्मा का अस्तित्व,
आदि या इति
स्रष्टा या सृष्टि
अपना निर्णय, अपने हाथ
अपना अस्तित्व, अपने साथ,
समझ रहे हो न मनुज..!

संजय भारद्वाज
writersanjay@gmail.com

( प्रात: 8.44 बजे, 12 जून 2019)

हरेक के भीतर बसे ब्रह्मा को नमन। आपका दिन सार्थक हो।
✍🌻🙏

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