बुधवार, 10 जून 2020

ज्योतिर्गमय


*ज्योतिर्गमय*

अथाह, असीम
अथक अंधेरा,
द्वादशपक्षीय
रात का डेरा,
ध्रुवीय बिंदु
सच को जानते हैं
चाँद को रात का
पहरेदार मानते हैं,
बात को समझा करो
पहरेदार से डरा करो,
पर इस पहरेदार की
टकटकी ही तो
मेरे पास है,
चाँद है सो
सूरज के लौटने
की आस है,
अवधि थोड़ी हो
अवधि अधिक हो,
सूरज की राह देखते
बीत जाती है रात,
अंधेरे के गर्भ में
प्रकाश को पंख फूटते हैं,
तमस के पैरोकार,
सुनो, रात काटना
इसे ही तो कहते हैं..!

संजय भारद्वाज
writersanjay@gmail.com

(रात्रि 3:31 बजे, 6.6.2020)

# सजग रहें, स्वस्थ रहें।
( ध्रुवीय बिंदु पर रात और दिन लगभग छह-छह माह के होते हैं।)

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