🌻
*शिलालेख*
अतीत हो रही हैं
तुम्हारी कविताएँ
बिना किसी चर्चा के,
मैं आश्वस्ति से
हँस पड़ा..,
शिलालेख,
एक दिन में तो
नहीं बना करते!
संजय भारद्वाज
(11 जून, 2016 संध्या 5:04 बजे)
# सजग रहें, स्वस्थ रहें।
✍️🙏🏻
लिखता हूँ सो जीता हूँ।
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