कैद कर लिए मैंने
विकास की यात्रा के
बहुत से दृश्य
अपनी आँख में,
अब;
इनसे टपकेगा पानी
केवल उन्हीं बीजों पर
जो उगा सकें
हरे पौधे और हरी घास,
अपनी आँख को
फिर किसी विनाश का
साक्षी नहीं बना सकता मैं!
विकास की यात्रा के
बहुत से दृश्य
अपनी आँख में,
अब;
इनसे टपकेगा पानी
केवल उन्हीं बीजों पर
जो उगा सकें
हरे पौधे और हरी घास,
अपनी आँख को
फिर किसी विनाश का
साक्षी नहीं बना सकता मैं!
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